पितृ पक्ष चल रहे है,और इन दिनों पितरो की शांति के लिये लोग श्राद्ध कर्म करते है,शास्त्रो का नियम है की व्यक्ति की जिस तिथि को मृत्यु हुई हो पितृ पक्ष के दौरान आने वाली उसी तिथि को मृत व्यक्ति का श्राद्ध निकलना चाहिए।इस दिन श्राद्ध करने से मृत व्यक्ति की आत्मा को उसके लिये किये गए श्राद्ध का अंश प्राप्त हो जाता है,लेकिन जिस व्यक्ति की अकाल मृत्यु होती है ,उसकी आत्मा को आसानी से शांति नहीं मिलती,ऐसे व्यक्ति के लिये श्राद्ध का विशेष दिन निर्धारित किया गया है,शास्त्रो में कहा गया है की जिस व्यक्ति की मृत्यु दुर्घटना में ,विष से,या शस्त्र से हुई हो या आत्म हत्या की गयी हो उसका श्राद्ध चतुर्थी को करना चाहिये।
इस वर्ष श्राद्ध पक्ष की चतुर्दशी 22 सितम्बर 2014 को है,इस दिन अकाल मृत्यु प्राप्त पितरो का तर्पण और श्राद्ध
करने से उनकी आत्मा को शांति मिलेगी,शास्त्र यह भी कहता है की अकाल मृत्यु प्राप्त व्यक्तियों की शांति के लिये इस दिन भागवत कथा का पाठ भी करना चाहिये।इससे अशांत आत्मा की मन की शांति होती है,उनकी बेचैनी दूर होती है,
माना जाता है की जिनकी अकाल मृत्यु होती है उनकी आत्मा अपनी निर्धारित आयु तक भटकती है ,मान लीजिये अकाल मृत्यु व्यक्ति की आयु भगवान 80 वर्ष निर्धारित की थी परन्तु उसकी अकाल मृत्यु हो गई 30 वर्ष में तो उसकी आत्मा 50 वर्ष भटकती रहेगी। अपने परिजनों से बिछड़ने का दुःख इन्हे हमेशा सताता रहता है। बिहार के गया धाम एव बद्रीनाथ के पास ब्रह्मकपाली में श्राद्ध करने से अकाल मृत्यु प्राप्त व्यक्ति की आत्मा को तत्काल उस जीवन से मुक्ति मिल जाती है और सदगति प्राप्त होती है,मान्यता है की अकाल मृत्यु प्राप्त व्यक्ति की आत्मा की शांति नहीं होने पर वह परिवार
के सदस्यों को परेशान करता है,उसकी आत्मा प्रेत आत्मा योनि में भटकती रहती है,परिवार के सदस्यों को वह कारोबारिकऔर शारीरिक रूप से परेशान करता रहता है,इसलिये चतुर्दशी पर अकाल मृत्यु प्राप्त व्यक्ति की आत्मा को शांति देने
के लिए श्राद्ध
और तर्पण बहुत जरूरी है
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